रविवार, जनवरी 01, 2012

गर्जिया देवी मन्दिर- धार्मिक पर्यटन का केन्द्र

कुमाऊं के प्रसिद्ध देवी मन्दिरों में रामनगर में स्थित गिरिजा देवी (गर्जिया देवी) का स्थान अद्वितीय है। यहां गिरिजा देवी वैष्णवी के रूप में स्थित हैं जो पार्वती का ही रूप है। मान्यता है कि जिन मन्दिरों में देवी वैष्णवी के रूप में स्थित होती हैं उनकी पूजा पुष्प प्रसाद से की जाती है और जहां शिव शक्ति के रूप में होती हैं वहां बलिदान का प्रावधान है। 

रामनगर से 13 किलोमीटर दूर उत्तर में रानीखेत मार्ग पर गर्जिया गांव के समीप प्रकृति की गोद में वनों से आच्छादित कोसी नदी के मध्य टापू पर स्थित यह मन्दिर स्थानीय लोगों की आस्था का तो केन्द्र है ही, कार्बेट नेशनल पार्क आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के भी आकर्षण का केन्द्र है। मन्दिर के प्रति लोगों की आस्था का आलम यह है कि आने-जाने वाले श्रद्धालु मार्ग पर रुककर या वाहन रोककर दूर से ही मां को नमन करते हैं। सन 1940 से पूर्व स्थापित इस मन्दिर में दुर्गा जी का विग्रह, गणेश जी की स्थापना और शिवलिंग स्थापित हैं। इस स्थान का निर्माण कोसी द्वारा पहाडी के कटान से हुआ। उभरी चट्टान पर श्रद्धालुओं ने मन्दिर निर्माण किया। लोकविश्वास है कि कोसी की गर्जना और जंगली जानवरों की गर्जना के कारण ही इस स्थान का नाम गर्जिया पडा। 

मन्दिर की पूजा अर्चना का कार्य सन 1910 से पण्डित रामकृष्ण पाण्डे का परिवार देखता आ रहा है। वर्तमान में उनके पुत्र पण्डित पूर्णचन्द्र पाण्डे जी यहां पुजारी हैं। 1956 में कोसी में बाढ के कारण मन्दिर की सभी मूर्तियां बह गई थीं। पण्डित पूर्णचन्द्र पाण्डे ने फिर से इसकी स्थापना कर मन्दिर को भव्यता प्रदान की। 

मन्दिर में पहुंचने से पहले श्रद्धालु कोसी नदी में स्नान करते हैं। नदी से मन्दिर के लिये 90 सीढियां चढनी पडती हैं। श्रद्धालु प्रसाद, घण्टा, चांदी का छत्र आदि चढाते हैं। बहुत से लोग अपनी मनोकामना के लिये बावड की गांठ बांधते हैं। देवी दर्शन के बाद श्रद्धालु भैरों मन्दिर, शिव मन्दिर के दर्शन करते हैं तथा खिचडी चढाते हैं। सन 1971 में मन्दिर समिति का गठन किया गया, जो सारी व्यवस्थाएं करती हैं। बरसात में तेज बहाव के कारण लोग मन्दिर में नहीं जा पाते। यहां नवरात्रों तथा गंगा स्नान पर हजारों श्रद्धालु आते हैं। अनुमान है कि वर्ष भर में पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालु यहां आते हैं। कार्बेट नेशनल पार्क आने वाले पर्यटकों की आवाजाही के कारण यह पर्यटन स्थल भी बनता जा रहा है। सरकार तथा पर्यटन विभाग द्वारा इस ओर सकारात्मक प्रयास भी किये गये हैं। बढती भीड को देखते हुए इसकी सुन्दरता तथा आस्था को कोई ठेस न पहुंचे, इसके लिये दूरगामी नीति बनाने की जरुरत है। 

लेख: प्रभात कुमार (हिन्दुस्तान रीमिक्स, 27 सितम्बर 2008)

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